कितना आसान जय के लिये नैतिक मूल्यों की तिलांजलि ?
क्या हम सोच सकते है कि क्या गुज़रती होगी उनलोगों पर जिनका इसका सीधा प्रभाव पड़ता है ?
नहीं , हम नहीं सोच सकते है। या यूँ कहे सोचना नहीं चाहते है क्योंकि हम बँधे हुये है ज़िम्मेदारियों से, और उनका बोझ उठा पाना सबके बस की बात नहीं है।
अगर हम ऐसा करते तो यूँ होता , वैसा करते तो यूँ होता। बस केवल हम यही कर सकते है।
हम सब रास्ते नहीं चुन सकते।
हमे केवल एक रास्ते को चुनना पड़ता है , लेकिन क्या सब रास्ते अलग अलग हैं या केवल बाहर से ऐसा दीखता है।
मेरे हिसाब से सब रास्ते एक जैसे है , क्योंकि सब में बराबर फल मिलते है और सब एक दूसरे से जुड़े हुये है , भले दूर से वो कितने अलग क्यों न दिखाई दे।
सब रास्तों की उत्पति एक है।
हम लोग का स्रोत एक है
क्या हम सोच सकते है कि क्या गुज़रती होगी उनलोगों पर जिनका इसका सीधा प्रभाव पड़ता है ?
नहीं , हम नहीं सोच सकते है। या यूँ कहे सोचना नहीं चाहते है क्योंकि हम बँधे हुये है ज़िम्मेदारियों से, और उनका बोझ उठा पाना सबके बस की बात नहीं है।
अगर हम ऐसा करते तो यूँ होता , वैसा करते तो यूँ होता। बस केवल हम यही कर सकते है।
हम सब रास्ते नहीं चुन सकते।
हमे केवल एक रास्ते को चुनना पड़ता है , लेकिन क्या सब रास्ते अलग अलग हैं या केवल बाहर से ऐसा दीखता है।
मेरे हिसाब से सब रास्ते एक जैसे है , क्योंकि सब में बराबर फल मिलते है और सब एक दूसरे से जुड़े हुये है , भले दूर से वो कितने अलग क्यों न दिखाई दे।
सब रास्तों की उत्पति एक है।
हम लोग का स्रोत एक है