खंड १
" शर्म करो और शर्म करो
कर्म करो बस कर्म करो "
सुबह से लेकर शाम तक
नाम मत बदनाम कर
"औरों को तो देख जरा
दूर निकले जो तेरे साथ थे चले
तू सोया मत आराम कर
चल काम कर चल काम पर
खोया है सपने में ,
उठ उन्हें पूरा करने का प्रयास कर
सोचा है जो ख्याल में
उसे ले साथ चल मत आराम कर"
चल काम पर
है शुरुआत कहाँ , है अंत कहाँ , इस पर न विचार कर
चल काम कर , चल काम पर
सोच सोच के कुछ न मिले ,सब मन में रहे और तन में घुले , बहे
" सब राह है सही , सब राह है गलत
तू अपने अंदर झाँक कर
तय कर और फिर शुरुआत कर
बस काम कर , चल काम पर
खंड २
"जीवन है अभिलाषा,थोड़ी आशा थोड़ी निराशा
सब रंगो के है गीत यहाँ सब रंगो के है खवाब यहाँ
जो जैसा खोजे वैसा पाए वैसे ही वो जीता जाये
अपने को अगर अकेला पाए फिर भी आगे बढ़ता जाये "